नई दिल्ली,26 अक्टूबर 2024
तुर्किये, जो अक्सर भारत के खिलाफ बोलता है, विशेषकर कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का समर्थन करता है, अब थोड़ा अलग सुर में नजर आ रहा है। हाल ही में, राष्ट्रपति रिचेप तैयब एर्दोगन ने यूएन में कश्मीर का जिक्र नहीं किया। उनके दफ्तर ने यह भी बताया है कि एक मीडिया रिपोर्ट में तुर्किये की BRICS में एंट्री के प्रयासों के विफल होने का जो दावा किया गया था, उसे उन्होंने खारिज किया है। रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत तुर्किये को इस समूह में शामिल नहीं होने देना चाहता, क्योंकि वह पाकिस्तान का करीबी मित्र है।
तुर्किये ने उन खबरों को खारिज किया है जिसमें कहा गया था कि भारत ने BRICS समूह में उसकी एंट्री का विरोध किया था। हाल ही में रूस के कजान में हुए BRICS सम्मेलन में तुर्किये को पार्टनर देश के रूप में शामिल करने का निर्णय लिया गया था। एक जर्मन टेबलॉयड की रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि भारत ने तुर्किये की एंट्री का विरोध किया था, लेकिन अंकारा ने इस रिपोर्ट को आधिकारिक बयान देकर खारिज कर दिया है।
यह खबर जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज की तीन दिवसीय भारत यात्रा से पहले आई, जो 25 अक्टूबर से शुरू हुई। तुर्किये उन 13 देशों में से एक है जिन्हें इस साल BRICS के पार्टनर देशों के रूप में शामिल किया गया। कश्मीर पर तुर्किये अक्सर पाकिस्तान का समर्थन करता रहा है, लेकिन अब इसमें बदलाव दिख रहा है।
तुर्किये के राष्ट्रपति रिचेप तैयब एर्दोगन ने पिछले साल संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर का मुद्दा उठाया था, लेकिन इस वर्ष उन्होंने इससे परहेज किया। सितंबर में महासभा में, उन्होंने कश्मीर का जिक्र नहीं किया, जिसे कुछ लोगों ने BRICS शिखर सम्मेलन से पहले समर्थन हासिल करने की रणनीति माना।इस साल, एर्दोगन ने गाजा पर संयुक्त राष्ट्र की निष्क्रियता की आलोचना की। BRICS शिखर सम्मेलन के अलावा, तुर्किये भारत में अपने निवेश को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
तुर्किये और भारत के बीच आर्थिक संबंध मजबूत हो रहे हैं, और द्विपक्षीय व्यापार 2022-23 में 13.80 बिलियन डॉलर को पार कर गया। भारतीय कंपनियों ने तुर्की में लगभग 126 मिलियन डॉलर का निवेश किया, जबकि तुर्की का भारत में निवेश लगभग 210.47 मिलियन डॉलर है।