
लखनऊ, 30 जनवरी 2025:
आस्था के महापर्व महाकुंभ में मौनी अमावस्या के अमृत स्नान के दौरान बुधवार को हुए हादसे के बाद व्यवस्था को लेकर सवाल उठ रहे हैं। विपक्षी दल सरकार पर निशाना साध रहे हैं लेकिन महाकुंभ या कुंभ के दौरान पहले भी कई हादसे हो चुके हैं। उन हादसों में सैकड़ों लोगों की जान चली गई थी।
आजादी के बाद छह बार हुए हादसे
कुंभ मेले के इतिहास में भारी भीड़ की वजह से अफरातफरी और भगदड़ का इतिहास पुराना है। आजादी के बाद अब तक आस्था के सबसे बड़े समागम में छह बार हादसों का कलंक लगा है। इस बार 144 साल बाद आए महाकुंभ में हुई भगदड़ ने सबको झकझोर कर रख दिया।
त्रासदी के तौर पर याद किया जाता है 1954 का कुंभ
साल 1954 में आजादी के बाद पहला महाकुंभ लगा जिसको एक त्रासदी के तौर पर भी याद किया जाता है।उस दिन भी मौनी अमावस्या थी और भक्तों का तांता लगा था। उसी दिन तत्कालीन पीएम नेहरू और राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद स्नान करने पहुंचे जहां भीड़ बेकाबू हो गई और भगदड़ मच गई जिसमें करीब एक हजार लोगों की मौत हुई।
हरिद्वार में वीआईपी मूवमेंट से बिगड़े थे हालात
वर्ष 1986 में हरिद्वार में आयोजित कुंभ में भी भगदड़ हुई और 200 लोगों की मौत हुई। इसकी वजह वीआईपी की भीड़ को माना गया। यूपी के तत्कालीन सीएम वीर बहादुर सिंह सहित कई राज्यों के सीएम एवं दो दर्जन से ज्यादा सांसद स्नान करने पहुंचे जिसके चलते व्यवस्था बिगड़ी।
उज्जैन और नासिक में भी मची थी भगदड़
वर्ष 1992 में उज्जैन के सिंहस्थ कुंभ में भगदड़ मची जिसमें 50 लोगों की मौत हुई। वर्ष 2003 में नासिक में कुंभ हुआ जहां भीड़ के कारण भगदड़ हुई और 39 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी
सपा सरकार के दौरान हादसे में 42 लोगों की हुई भी मौत
साल 2010 में हरिद्वार में लगे कुंभ में पहुंचे श्रद्धालु बेकाबू हो गए और वहां पर भगदड़ का माहौल बन गया जिसमें 7 लोगों की मौत हुई। साल 2013 में यूपी में अखिलेश सरकार के दौरान प्रयागराज में मौनी अमावस्या के दौरान हादसा हुआ। रेलवे स्टेशन पर एक फुटओवर ब्रिज के ढह जाने के बाद भगदड़ मच गई थी। इस हादसे में लगभग 42 लोगों की जान चली गई।
आजादी के बाद कुंभ के दौरान हुए हादसे
-1954 प्रयागराज : पहली बार कुंभ में भगदड़ मची थी, जिसमें करीब 1,000 लोग मारे गए थे।
-1986 हरिद्वार : वीआईपी मूवमेंट के कारण मची भगदड़ में 200 लोगों की मौत हुई।
-1992 उज्जैन : सिंहस्थ कुंभ में भगदड़ से 50 लोगों की मौत हुई।
-2003 नासिक : भगदड़ में 39 लोगों की जान गई।
-2010 हरिद्वार : भीड़ के दबाव में 7 श्रद्धालुओं की मौत हुई।
-2013 प्रयागराज : रेलवे स्टेशन पर भगदड़ में 42 लोगों की जान गई थी।