महाकुंभ नगर, 7 जनवरी 2025:
महाकुंभ शुरू होने में अब केवल पांच दिन बाकी हैं। इतने भव्य और वृहद आयोजन के लिए जो भी इंतजाम हो रहे हैं वो Larger than life लग रहे हैं। जाहिर सी बात है कि जहां एक ही वक्त पर, एक साथ करोड़ों लोग पहुंच रहे हों तो वहां की व्यवस्थाएं भी छोटी-मोटी कैसे हो सकती हैं।
महाकुंभ को भव्य, दिव्य और सुविधाजनक बनाने में जो चीज सबसे अहम भूमिका निभाएगी वो है बिजली की व्यवस्था, जिस पर सरकार 209 करोड़ रुपए खर्च कर रही है। पांच हजार कर्मियों का काम सिर्फ ये होगा कि वो पूरे मेला क्षेत्र को रोशनी से जगमग रखेंगे। और क्या-क्या इंतजाम किए गए हैं, वो भी बताएंगे लेकिन पहले ये जानिए कि संगम की रेती पर पहली बार बिजली के बल्ब कब जले थे।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में लगने वाले कुंभ मेले में पहली बार बिजली की रोशनी 70 साल पहले पहुंची थी। 1954 में पहली बार यहां बिजली के बल्ब जले थे। तब से लेकर अब तक बिजली की रोशनी कुंभ के आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
तब शिविरों में जलती थी लालटेन
आज के समय में कुंभ और महाकुंभ को हैलोजन, फसाड लाइट्स और ट्यूबलाइट्स से ऐसा रोशन किया जाता है कि रात भी दिन जैसी मालूम होती है। मगर पहली बार जब 1954 के महाकुंभ बिजली का बल्ब जला, उससे पहले माघ मेले में, कुंभ और महाकुंभ के दौरान पेट्रोमैक्स का इस्तेमाल रोशनी के लिए किया जाता था। वहीं शिविरों में लालटेन जला करती थी।
1954 के महाकुंभ में एक करोड़ लोगों ने लगाई थी डुबकी
देश की आजादी के बाद जब पहली बार 1954 में महाकुंभ का आयोजन हुआ तो तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू भी यहां पहुंचे थे। 72 साल पहले भी कुंभ में स्नान करने के लिए आने वालों की संख्या एक करोड़ थी, और पांटून पुल यानी फ्लोटिंग ब्रिज तब भी बनते थे। यहां एक बात का जिक्र और करते चलें कि 1954 के महाकुंभ में मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर पं. नेहरू के यहां स्नान करने के बाद भगदड़ भी मची थी।
500 स्ट्रीट पोल्स पर लगाई डिजाइनर लाइट
अब इतिहास से वापस आते हैं वर्तमान के इंतजामों पर तो जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड ने प्रयागराज महाकुंभ 2025 में 8 करोड़ की लागत से करीब 500 स्ट्रीट पोल्स पर डिजाइनर लाइट लगाई हैं।
महाकुंभ में बिजली सप्लाई के लिए इंतजाम
5000 बिजलीकर्मी यहां दिन-रात ड्यूटी करेंगे
4.25 लाख कुल कनेक्शन दिए जा रहे हैं
67 हजार लाइटें सार्वजनिक प्रकाश के लिए लगाई गई हैं
50 हजार खंभे 4000 हेक्टेयर के क्षेत्रफल में लगाए गए हैं
68 हजार एलईडी लगाई जा रही हैं
85 जेनरेटर इमरजेंसी में बिजली देने के लिए तैयार रहेंगे.
इस पूरी व्यवस्था पर 209 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं