रायपुर, 20 सितंबर 2024:
छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र से लगभग 70 नक्सल हिंसा पीड़ितों का एक समूह कल 19 सितम्बर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनके आवास पर मिला। इस मुलाकात में पीड़ितों ने अपने जीवन में आए दर्दनाक अनुभवों को साझा किया और न्याय के साथ पुनर्वास की माँग की। इस दल का नेतृत्व बस्तर शांति समिति ने किया, जो नक्सल प्रभावित इलाकों में शांति और विकास के लिए काम कर रही है। इनमें से कई लोगों ने नक्सलियों के हमलों में अपने परिवार के सदस्यों को खोया है, कुछ ने अपने अंग गंवाए हैं, और कई अब भी अपंगता और अन्य गंभीर समस्याओं से जूझ रहे हैं।
इस मुलाकात का प्रमुख उद्देश्य नक्सल हिंसा के शिकार लोगों की पीड़ा को देश के समक्ष लाना और राष्ट्रीय मंच पर उनकी समस्याओं को उठाना था। गृह मंत्री अमित शाह ने न केवल इन पीड़ितों की बातों को धैर्यपूर्वक सुना, बल्कि उनके संघर्ष की सराहना करते हुए यह विश्वास दिलाया कि सरकार उनके मुद्दों को सुलझाने के लिए हर संभव प्रयास करेगी।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका
पीड़ितों ने छत्तीसगढ़ सरकार और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के समर्थन और संवेदनशीलता की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से मिल रहे सहयोग और विकास के प्रयासों ने उन्हें दिल्ली आकर अपनी समस्याओं को उठाने का साहस दिया है। बस्तर और अन्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे विकास और सुरक्षा प्रयासों की वजह से ही पीड़ितों को नई उम्मीद मिली है।
पीड़ितों ने मुख्यमंत्री साय के नेतृत्व की तारीफ करते हुए कहा कि राज्य ने न केवल सुरक्षा बल्कि सामाजिक और आर्थिक विकास को भी प्राथमिकता दी है, जिससे नक्सल प्रभावित लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आए हैं। एक पीड़ित ने कहा, “हमने बहुत कुछ खोया है, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयासों ने हमें यह आत्मविश्वास दिया कि हम अपनी समस्याओं को देश की राजधानी तक ले जा सकें। मुख्यमंत्री साय ने हमें आश्वासन दिया है कि हमारे साथ न्याय होगा।”
नक्सल प्रभावित पीड़ितों ने गृह मंत्री से की मुलाकात, अपनी पीड़ा साझा करते हुए न्याय और विकास की अपील की
नक्सल हिंसा से त्रस्त छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के पीड़ितों ने गृह मंत्री अमित शाह से भावुक मुलाकात की, जहाँ उन्होंने अपने दर्द और संघर्ष की कहानी बयां की। कुछ पीड़ितों ने अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया, तो कुछ ने अपने अंग गंवाए हैं और अब अपंगता के साथ जीवन जी रहे हैं। मानसिक और शारीरिक रूप से जूझते हुए इन लोगों ने गृह मंत्री से न्याय और पुनर्वास की माँग की। एक पीड़ित ने कहा, “नक्सलियों की हिंसा ने हमें सब कुछ छीन लिया, अब हमारी उम्मीद सरकार पर टिकी है कि वह हमारी सहायता करेगी और हमें न्याय दिलाएगी।”
गृह मंत्री ने पीड़ितों की समस्याओं को गंभीरता से सुना और उन्हें आश्वासन दिया कि सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए ठोस कदम उठाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि नक्सलवाद को समाप्त करने और प्रभावित परिवारों के पुनर्वास के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे, जिससे उन्हें एक बार फिर सामान्य जीवन जीने का अवसर मिल सके।
इस महत्वपूर्ण बैठक से पहले, नक्सल पीड़ितों का यह समूह जंतर मंतर पहुँचा, जहाँ उन्होंने अपनी समस्याओं को जनता और सरकार के सामने रखा। उनका उद्देश्य था कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास को प्राथमिकता दी जाए। एक पीड़ित ने कहा, “हमने छत्तीसगढ़ सरकार के विकास प्रयासों से प्रेरित होकर अपनी आवाज़ दिल्ली तक लाने का साहस किया है। अब हमें उम्मीद है कि हमारे गाँवों में स्थायी शांति स्थापित होगी और हम फिर से अपने जीवन को सुधार पाएंगे।”
इस मुलाकात से नक्सल प्रभावित पीड़ितों में नई उम्मीद जागी है कि उनकी आवाज़ को राष्ट्रीय स्तर पर सुना जाएगा और उनके पुनर्वास और विकास के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे।
राष्ट्रपति से आगामी मुलाकात
इस समूह की योजना 21 सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से भी मुलाकात करने की है। इस मुलाकात के दौरान, नक्सल प्रभावित इलाकों में स्थायी शांति और विकास पर चर्चा की जाएगी। पीड़ित राष्ट्रपति को एक ज्ञापन भी सौंपेंगे, जिसमें सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाने, विकास कार्यों को तेज़ करने और नक्सल प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की माँग की जाएगी।