गोरखपुर, 20 सितंबर:
हरेन्द्र दुबे,
गोसेवा के लिए प्रसिद्ध और देशभर में पूज्यनीय गोरक्षपीठ के गोवंश संसार में एक और महत्वपूर्ण समृद्धि जुड़ गई है। शुक्रवार की सुबह गोरखनाथ मंदिर की गोशाला में आंध्र प्रदेश की अति दुर्लभ नस्ल की पुंगनूर गायों का एक जोड़ा (बछिया और बछड़ा) लाया गया। यह नस्ल अपनी विशेषताओं के कारण देशभर में प्रसिद्ध है। मुख्यमंत्री एवं गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने व्यक्तिगत रूप से इस नवागंतुक गोवंश का स्वागत किया और उन्हें स्नेहपूर्वक दुलारते हुए अपने हाथों से गुड़ खिलाया।
पुंगनूर गाय अपने छोटे कद, चौड़े माथे और हल्के भूरे या सफेद रंग के कारण विशेष मानी जाती है। आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले से संबंध रखने वाली यह गाय अब गोरखनाथ मंदिर की गोशाला का हिस्सा बन गई है, जिससे मंदिर का गोवंश और अधिक समृद्ध हुआ है। पुंगनूर गाय की औसत ऊंचाई ढाई से तीन फीट होती है और इसका वजन 105 से 200 किलोग्राम तक होता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गाय के इस अनमोल जोड़े के माथे पर हाथ फेरा और भावनात्मक रूप से जुड़ते हुए कहा, “अरे रे रे, तुम्हें माई की याद आ रही है ना!” मुख्यमंत्री ने बछिया और बछड़े को अपने हाथों से गुड़ खिलाया और उन्हें बड़े स्नेह के साथ दुलारते रहे।
गुरुवार की दोपहर बाद गोरखपुर आने के बाद, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार सुबह अपनी परंपरागत दिनचर्या का पालन किया। उन्होंने गोरखनाथ मंदिर में गुरु गोरखनाथ का दर्शन-पूजन किया और ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की समाधि पर जाकर मत्था टेका। मुख्यमंत्री की गोसेवा उनकी दिनचर्या का एक अभिन्न हिस्सा है, खासकर जब वे गोरखनाथ मंदिर में होते हैं। शुक्रवार का दिन इस दृष्टिकोण से विशेष था, क्योंकि पुंगनूर नस्ल की दुर्लभ गाय का मंदिर की गोशाला में आगमन हुआ था, जिसने मुख्यमंत्री के लिए इसे और भी खास बना दिया।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोशाला में केवल पुंगनूर गायों पर ही नहीं, बल्कि अन्य गोवंश पर भी विशेष ध्यान दिया। उन्होंने गोशाला में भ्रमण करते हुए श्यामा, गौरी, गंगा और भोला जैसे नामों से अपने प्रिय गोवंश को पुकारा। उनकी आवाज़ सुनते ही कई गायें खुशी से दौड़ते हुए उनके पास आ गईं। मुख्यमंत्री ने उन्हें दुलारते हुए अपने हाथों से गुड़ खिलाया और उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। इस दौरान, उन्होंने गोशाला के कार्यकर्ताओं से भी बातचीत की और गोवंश की देखभाल और उनके पोषण पर विशेष जोर देते हुए निर्देश दिए।
पुंगनूर गाय का आगमन गोरक्षपीठ के गोवंश संसार के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है। मान्यता के अनुसार यह गाय समुद्र मंथन के समय अस्तित्व में आयी थी। यह गाय अपने छोटे आकार और सीमित पोषण आवश्यकताओं के बावजूद उच्च दूध उत्पादन के लिए जानी जाती है। पुंगनूर नस्ल की गायों की देखभाल और संरक्षण के लिए गोरखनाथ मंदिर की गोशाला पहले से ही प्रसिद्ध है, और इस नई नस्ल का जुड़ाव मंदिर की इस परंपरा को और भी समृद्ध करता है।
पुंगनूर गाय, जिसकी उत्पत्ति आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले से हुई है, अब गोरखनाथ मंदिर की गोशाला में अपने नए घर में है। इस नस्ल का संरक्षण और पालन-पोषण गोरखनाथ मंदिर की गोशाला में विशेष देखरेख में किया जाएगा, जिससे यह दुर्लभ प्रजाति संरक्षित रह सके। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की गोसेवा के प्रति अटूट निष्ठा और स्नेहपूर्ण व्यवहार ने इस गोवंश को एक नया घर और नई उम्मीद दी है।
गोरक्षपीठ की गोशाला में अब विभिन्न नस्लों की गायों की एक विस्तृत श्रृंखला मौजूद है, जो न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि कृषि और पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा पुंगनूर गाय का स्वागत और उनका लगातार गोसेवा में समर्पण इस बात का प्रमाण है कि गोरखनाथ मंदिर का गोवंश संरक्षण और सेवा के क्षेत्र में कितना समर्पित है।