प्रयागराज,1 नवंबर 2024
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में यमुनापार क्षेत्र में खासकर यमुना नदी से सटे दर्जनों घाटों से लेकर पहाड़ी इलाकों में दिन-रात बेरोकटोक अवैध खनन चल रहा है। कोरांव, बारा, मेजा, नैनी में दिन रात होने वाले खनन के चलते कई पहाड़ ‘हजम’ हो गए। इसके अलावा कई पहाड़ अस्तित्व बचाने के संकट से जूझ रहे हैं। खनन माफिया सक्रिय हैं और जिन पर रोकने की जिम्मेदारी है वो धृतराष्ट्र की भूमिका में हैं।
बबजानकारों के अनुसार, हल्ला – गुल्ला मचने पर कभी कभी कार्रवाई की महज औपचारिकता कर दी जाती है, थोड़े दिन शांत रहने के बाद फिर खनन तेजी पकड़ लेता है। हजारों टन रोजाना सिलिका सैंड, पहाड़ों की गिट्टी की ढुलाई की जाती है। इसके अलावा यमुना नदी के तटीय इलाके के कई दर्जन घाटों के किनारे जेसीबी से निकाली जाने वाली रेत और बालू हैरान कर देने वाली है। सुप्रीम कोर्ट की मनाही और शासन की सख्त पाबंदी के आदेश यहां दम तोड़ते दिखते हैं।दिनरात सड़कों पर खनन वाले दौड़ते वाहन रास्ते में पड़ने वाले करीब आधे दर्जन थाने और पुलिस चौकियों के सामने से खुलेआम गुजरते हैं। बारा, शंकरगढ़, परवेजाबाद, धरा और उसके आसपास के इलाके में सिलिका सैंड की बड़ी तादाद में रोजाना ढुलाई की जाती है। करछना, मेजा, नैनी, कोरांव इलाके में डेढ़ दर्जन से ज्यादा घाट हैं। शाम होते ही बालू खनन शुरू हो जाता है। सैकड़ों ट्रक, डंपर, ट्रैक्टर ट्राली बालू ढोते दिख जाते हैं। यही हाल घूरपुर, अमिलिया, पालपुर इलाके का है। खनन माफियाओं की सरहंगई और खादी – खाकी का गठजोड़ इस अवैध खनन के धंधे में कोढ़ में खाज साबित हो रहा है।