भदोही, 24 सितंबर:
समाजवादी पार्टी (सपा) के विधायक जाहिद बेग को नाबालिग घरेलू सहायिका के आत्महत्या मामले में सोमवार को एमपी-एमएलए अदालत में पेश किया गया। इस मामले में विधायक पर नाबालिग को आत्महत्या के लिए उकसाने और बाल श्रम अधिनियम के उल्लंघन का आरोप है। सपा विधायक जाहिद बेग को अदालत ने 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजते हुए नैनी जेल स्थानांतरित कर दिया। कड़ी सुरक्षा के बीच अदालत परिसर में उनकी पेशी हुई, जहां अदालत के गेट से लेकर अंदर तक भारी पुलिस बल तैनात था, जिससे सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चाक-चौबंद रही।
9 सितंबर को सपा विधायक जाहिद बेग के निजी आवास पर एक नाबालिग घरेलू सहायिका ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। इस घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी थी। मृतक नाजिया (17), जो कांशीराम आवास कॉलोनी, मामदेवपुर की रहने वाली थी, पिछले कई वर्षों से विधायक के घर पर घरेलू कार्य कर रही थी। इस घटना के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए कमरे का दरवाजा तोड़ा और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।
घटनास्थल पर एक और नाबालिग घरेलू सहायिका भी पाई गई थी, जिसे जिला प्रशासन ने मुक्त कराकर राजकीय बाल संरक्षण गृह प्रयागराज भेज दिया। इस घटना के बाद श्रम विभाग ने बाल श्रम अधिनियम और अन्य संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज कराया।
फरारी के बाद विधायक का सरेंडर पत्नी भूमिगत
नाबालिग की आत्महत्या के बाद विधायक जाहिद बेग और उनकी पत्नी सीमा बेग पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज हुआ। इसके बाद से दोनों फरार हो गए। पुलिस ने विधायक और उनकी पत्नी की गिरफ्तारी के लिए जगह-जगह छापेमारी की, लेकिन वे हाथ नहीं आए। आखिरकार, 19 सितंबर को जाहिद बेग ने अदालत में सरेंडर कर दिया। सरेंडर के बाद उन्हें सोमवार को अदालत में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
सपा विधायक जाहिद बेग के वकील मजहर शकील ने अदालत में तर्क दिया कि उनके मुवक्किल का स्वास्थ्य ठीक नहीं रहता है और इसलिए उन्हें ज्ञानपुर जेल में रखा जाए, जहां उचित चिकित्सा सुविधा मिल सके। हालांकि, पीठासीन अधिकारी के अवकाश पर होने के कारण इस अपील पर कोई निर्णय नहीं हो पाया। अदालत ने फिलहाल जाहिद बेग को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में नैनी जेल भेजने का आदेश दिया।
नाबालिग घरेलू सहायिका की आत्महत्या मामले में सपा विधायक जाहिद बेग और उनका परिवार पूरी तरह उलझ चुका है। विधायक को नैनी सेंट्रल जेल भेजा गया है, जबकि उनका बेटा जईम बेग वाराणसी जिला कारागार में बंद है। वहीं, जाहिद बेग की पत्नी सीमा बेग अब भी पुलिस गिरफ्त से बाहर हैं और भूमिगत बताई जा रही हैं। पुलिस उनकी तलाश में लगातार छापेमारी कर रही है, लेकिन अभी तक उन्हें पकड़ने में सफलता नहीं मिल पाई है।
बाल श्रम अधिनियम के उल्लंघन का आरोप
घरेलू सहायिका की आत्महत्या के मामले में बाल श्रम अधिनियम के उल्लंघन के भी गंभीर आरोप लगे हैं। श्रम विभाग ने जांच के दौरान पाया कि नाजिया और दूसरी नाबालिग सहायिका दोनों ही काफी समय से विधायक के घर पर काम कर रही थीं, जो कि बाल श्रम अधिनियम के तहत गैरकानूनी है। यह अधिनियम 14 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी खतरनाक काम में लगाने पर रोक लगाता है, और उल्लंघन करने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई का प्रावधान करता है।
विधायकों की जिम्मेदारी और कानूनी कार्रवाई
इस घटना ने समाज में जनप्रतिनिधियों की नैतिक जिम्मेदारियों पर भी सवाल खड़े किए हैं। एक विधायक का घर, जो कि समाज में एक आदर्श माना जाता है, वहां पर इस तरह की अवैध गतिविधियों का होना एक गंभीर विषय है। जाहिद बेग के मामले ने दिखाया कि कैसे एक जनप्रतिनिधि की जिम्मेदारी केवल कानून बनाने तक सीमित नहीं होती, बल्कि उसका व्यक्तिगत आचरण भी जनता के सामने होता है। इस मामले में जाहिद बेग की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं, क्योंकि न केवल वह और उनका परिवार कानूनी जाल में फंस चुके हैं, बल्कि इस मामले ने समाज में भी उनकी छवि पर गहरा असर डाला है।
जाहिद बेग के वकील द्वारा की गई अपील पर अदालत के पीठासीन अधिकारी के निर्णय के बाद ही यह तय हो पाएगा कि उन्हें ज्ञानपुर जेल में रखा जाएगा या नहीं। इस बीच, पुलिस और प्रशासन की नजरें उनकी पत्नी सीमा बेग पर टिकी हैं, जिनकी गिरफ्तारी अभी भी लंबित है।
इस मामले ने भदोही और आसपास के क्षेत्रों में बाल श्रम और नाबालिगों के शोषण जैसे मुद्दों को उजागर किया है, जो कि समाज में एक गंभीर समस्या है।