गोरखपुर , 8 अक्टूबर 2024:
हरेन्द्र दुबे,
आज पूरे देश में शारदीय नवरात्र के छठे दिन माँ कात्यायनी, माँ का छठा रूप, की पूजा-अर्चना की जा रही है। देवी मंदिरों में भक्तगण माँ की आराधना में लगे हुए हैं, उनका मन प्रसन्न करने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।
गोरखपुर जिले में, भक्तगण आज माँ कात्यायनी की पूजा कर रहे हैं। मान्यता है कि भगवान कृष्ण को पति रूप में पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने माँ कात्यायनी की पूजा की थी। यह पूजा कालिंदी (यमुना) के तट पर की गई थी, इसलिए उन्हें ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में पूजा जाता है।
माँ कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत भव्य और दिव्य है। उनका रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। माँ के चार भुजाएं हैं। दाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में अभय मुद्रा है, जबकि नीचे वाले हाथ में वर मुद्रा है। बाईं ओर के ऊपर वाले हाथ में तलवार है और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। उनका वाहन सिंह है।
माँ कात्यायनी की उपासना करने से भक्तों को अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष के चारों फल प्राप्त होते हैं। भक्तों के रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी समाप्त हो जाते हैं। इसलिए कहा जाता है कि इस देवी की उपासना करने से परम पद की प्राप्ति होती है।
माँ कात्यायनी का मंत्र
चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
ॐ क्लीं कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
नंद गोप सुतं देवि पतिं में कुरुते नमः क्लीं ॐ
पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ़ कपड़े पहनें। माँ कात्यायनी की मूर्ति को शुद्ध जल और गंगाजल से स्नान कराएं। माँ को पीले रंग के कपड़े पहनाएं और पीले रंग के फूल अर्पित करें। माँ को रोली और सिंदूर का तिलक लगाएं।
पाँच तरह के फल और मिठाई का भोग लगाएं। माँ कात्यायनी को शहद का भोग लगाना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से भक्त का व्यक्तित्व निखरता है। माँ कात्यायनी को शहद की खीर भी बहुत पसंद है। इसके अलावा, बादाम के हलवे का भोग भी लगाया जाता है।