श्रीनगर,22 अक्टूबर 2024
जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा उपाध्यक्ष का पद बीजेपी को सौंपने का फैसला किया, हालांकि कांग्रेस ने भी इस पद पर दावेदारी की थी। इस कदम के जरिए उमर अब्दुल्ला ने संकेत दिया है कि नई सरकार केंद्र के साथ काम करेगी और कांग्रेस को यह संदेश दिया कि वे प्रेशर पॉलिटिक्स से हटकर खुद निर्णय लेंगे।
उमर अब्दुल्ला कश्मीर की राजनीति में सतर्कता बरतते हुए बीजेपी के समर्थन से बचते हुए कदम उठा रहे हैं। धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश बन गया है, जहां लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा प्रशासन के मुखिया हैं। उमर अब्दुल्ला केंद्र के साथ अच्छे संबंध बनाने की कोशिश कर रहे हैं और उन्हें एलजी का समर्थन भी मिल रहा है। नए मंत्रिमंडल ने पूर्ण राज्य का प्रस्ताव भेजा, जिसे एलजी ने तुरंत मंजूर कर केंद्र को भेज दिया।
उमर अब्दुल्ला ने विधानसभा चुनाव में नेशनल कॉन्फ्रेंस की जीत के बाद स्पष्ट किया था कि वह केंद्र शासित प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर लेफ्टिनेंट गवर्नर से टकराव नहीं चाहेंगे। उन्होंने कहा कि उनका मकसद जम्मू-कश्मीर की जनता के विकास के लिए काम करना है। उपाध्यक्ष पद के चुनाव में उनका यह संदेश साफ तौर पर सामने आया है।
उमर अब्दुल्ला की सरकार को जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 55 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। इसमें नेशनल कॉन्फ्रेंस के 42, कांग्रेस के 6, 5 निर्दलीय, माकपा का 1 और आम आदमी पार्टी का 1 विधायक शामिल है। बीजेपी के 29 सदस्य हैं, जो अब प्रमुख विपक्षी दल बन गए हैं।