वाराणसी,12 सितंबर,2024
धर्म नगरी काशी के बारे में कहा जाता है कि सात वार नौ त्यौहार, यहां का हर दिन एक खास उत्सव के समान होता है। अपनी परंपराओं, आस्थाओं के लिए मशहूर देश की सांस्कृतिक राजधानी काशी में इन्हीं त्योहारों में से एक सोरहिया का मेला का शुभारंभ बुधवार से हुआ।
बलक्ष्मीकुंड पर स्थित महालक्ष्मी मंदिर में 16 दिनों तक चलने वाले उत्सव के पहले ही दिन लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। सुख, संमृद्धि और संतान प्राप्ति के लिए रखे जाने वाले इस व्रत के साथ लाखों लोगों की श्रद्धा जुड़ी हुई है। इसकी गिनती भी काशी के लक्खा मेलों में होती है। यहां इस मेले में 16 अंक का विशेष महत्व है।
महालक्ष्मी के पूजन और व्रत का नाम सोरहिया इसीलिए पड़ा क्योंकि यहां 16 अंक का विशेष महत्व है। 16 दिन के व्रत और पूजन में स्नान और 16 आचमन के बाद देवी विग्रह की 16 परिक्रमा की जाती है। माता को 16 चावल के दाने, 16 दूर्वा और 16 पल्लव अर्पित किए जाते हैं। व्रत के लिए 16 गांठ का धागा धारण किया जाता है। जो कथा सुनी जाती है, इसमें 16 शब्द होते हैं। 16वें दिन जीवितपुत्रिका या ज्यूतिया के निर्जला व्रत के साथ पूजन का समापन होता है।
सोरहिया मेले के पहले दिन लक्ष्मी कुंड पर व्रती महिलाओं ने कुंड में स्नान और मां महालक्ष्मी के दर्शन-पूजन किए। मंदिर में सुबह की आरती के दौरान भी भारी भीड़ उमड़ी रही। देर तक यहां दर्शनार्थियों की अटूट कतार लगी रही। देखरेख और सुरक्षा के लिए भारी पुलिस फोर्स भी तैनात रही।