
कोमल शर्मा
साल 1983 में एक फिल्म रिलीज होती है। फिल्म में बड़े किरदारों के रिश्ते जितने उलझे दिखे, छोटे किरदार उतने ही मासूम। रिश्तों का कुछ ऐसा ताना-बाना हिन्दी फिल्म अभिनेता और निर्देशक शेखर कपूर की पहली फिल्म ‘मासूम’ में दिखाई दिया। शेखर कपूर की यह डायरेक्शनल डेब्यू ‘मासूम’ उस दौर की फिल्मों में से थी, जब हिन्दी फिल्म इंड्रस्ट्री अपने बुरे दौर से गुजर रही थी।
उस दशक में आधुनिक दौर को बॉलीवुड तो अपना रहा था जो अपनी फिल्मों में तड़क भड़क शोर शराबा दिखा रहा था, लेकिन दर्शक 60 और 70 के दशक की फिल्मों के रोमांटिक और म्यूजिकल दौर से बाहर नहीं आना चाह रहे थे। इस नई लहर के लपेटे में कई फिल्मी हस्तियों की हस्ती कम होती नज़र आई।
संगीतकार आरडी बर्मन जिन्होंने हर स्ट्रीम के गानों को अपना संगीत और आवाज़ दी, उनकी लोकप्रियता भी इस दौर में धुंधली होती जा रही थी। लेकिन इस सब के बीच 80 के दशक में बर्मन दा के लिए एक फिल्म इस दशक की अपवाद रही क्योंकि इस फिल्म के संगीत के लिए बर्मन दा को जीते जी पुरस्कार मिला। आरडी बर्मन का संगीत और गुलज़ार के बोल। वैसे इस फिल्म की पटकथा भी गुलज़ार साहब की ही लिखी है। फिल्म का निर्देशन शेखर कपूर को मिला। शुरूआत में फिल्म ‘मासूम’ को थियेटर में फिल्म को दर्शक नहीं मिल पा रहे थे, लेकिन कुछ वक्त के बाद फिल्म ने दर्शकों के दिल में ऐसी जगह बनाई कि फिल्म को कल्ट फिल्म का टैग मिल गया।

विवाह और बेवफाई का रिश्ता
‘तुझसे नाराज़ नही जिंदगी, हैरान हूं मैं’ फिल्म मासूम का ये गाना किरदारों की सिचुएशन को दिखाता है। अमेरिकी लेखक एरिक सेगल के उपन्यास ‘मैन, वूमेन एंड चाइल्ड’ पर आधारित फिल्म की कहानी उस पति की है जिसे खुशहाल शादीशुदा जिंदगी में एक दिन अपने विवाहेत्तर सबंध से पैदा हुए बच्चे का पता चलता है।
स्थितियां तब और कठिन हो जाती है जब पति को उस बच्चे के बारे में ना सिर्फ अपनी पत्नी को अवगत कराना पड़ता है बल्कि उस बच्चे के पालन पोषण की जिम्मेदारी खुद लेनी पड़ती है और उसे अपने घर लाना पड़ता है। पत्नी को ना चाहते हुए भी अपने बसे बसाए घर में, अपनी भावनाओं को दबाकर उस बच्चे को परिवार में जगह देनी पड़ती है।
फिल्म में उलझन, भ्रम, घबराहट के बीच पति की बेवफाई, बेटे की चाहत, बेटे का सौतेली मां से प्यार की चाहत, हर रिश्ते से अनजान मासूमों का आपस का प्यार, फिल्म की ये सारी स्थितियां उस वक्त के समय से कहीं आगे के समय की लगती हैं।
‘मासूम’ सिक्वल की कहानी होगी अलग लेकिन मूल्य पुराने
1983 में आई फिल्म ‘मासूम’ हर पीढ़ी की फिल्म कही जा सकती है, इसलिए अब फिल्म के निर्देशक शेखर कपूर उसी तर्ज़ पर फिल्म का सिक्वल यानि ‘मासूम 2’ लाने की तैयारी कर रहे हैं, जिसकी शूटिंग अगले साल फरवरी-मार्च तक शुरू होगी।
फिल्म निर्देशक शरद कपूर के मुताबिक फिल्म के सिक्वल में कहानी तो अलग होगी लेकिन इसमें भी वो ही मूल्य होंगे, जो 1993 की ‘मासूम’ में नज़र आते हैं। जाहिर सी बात है कि फिल्म वर्तमान के सामाजिक और पारिवारिक मुद्दों पर आधारित होगी, जो आज के दौर के दर्शकों के लिए भी प्रासंगिक हो।
सिक्वल में आधुनिक समय की चुनौतियां और जटिलताएं भी देखने को मिल सकती है, लेकिन उस सिचुएशन में कहानी के अनुरूप किरदारों की भावनाएं और फैसलों को देखना दिलचस्प होगा। साथ ही ‘मासूम’ के बेहतरीन गाने ‘हुजूर इस कदर भी ना, इतरा के चलिए’, ‘तुझसे नाराज़ नही जिंदगी, हैरान हूं मैं’, ‘लकड़ी की काठी, काठी पे घोड़ा’ और फिल्म के बेहतरीन किरदार शबाना आज़मी, नसीरूद्दीन शाह, सईद ज़ाफरी, तनुजा, सुप्रिया पाठक, बाल कलाकार उर्मिला मातोंडकर, जुगल हंसराज, आराधना की जगह उसी लेवल या उससे बेहतर करने की चुनौती निर्देशक शेखर कपूर के लिए रहेगी। शेखर कपूर के मुताबिक फिल्म के सिक्वल ‘मासूम: द नेक्स्ट जनरेशन’ में फिर से नसीरूद्दीन शाह और शबाना आजमी नज़र आएंगे।
फिलहाल शेखर कपूर फिल्म ‘व्हाट्स लव गॉट टू डू विद इट’ की सफलता के बाद अब मासूम के सिक्वल की कमान संभालने के लिए तैयार है।