झारखंड, 22 अक्टूबर, 2024
झारखंड में चुनावी बिगुल बजने की राह में है ऐसे में जहां तमाम राजनीतिक पार्टी अपनी जीत के लिए दिन-रात काम कर रही है तो वही पार्टियों में टिकिट को लेकर संग्राम जारी है। देश की सत्तधारी पार्टी बीजेपी में भी ऐसा ही कुछ हो रहा है। झारखंड में जैसे ही बीजेपी ने आगामी विधानसभा के टिकिट की घोषणा की तो पार्टी में भूचाल आ गया ओर पार्टी छोड़ने वालों की लाईन लग गई। भारतीय जनता पार्टी के द्वारा 66 प्रत्याशियों की सूची जारी की गई थी। जिसमें कई सिटिंग विधायकों के साथ-साथ कुछ ऐसे चेहरों को प्रत्याशियों की सूची में जगह दी गई जो किसी न किसी दिग्गज नेता के परिवार से जुड़े हुए रिश्तेदार है। हमेशा से परिवारवाद को लेकर मुखर रहने वाली भारतीय जनता पार्टी की सूची देखें तो उसमें से कुछ ऐसे प्रत्याशियों के नाम शामिल है जो किसी न किसी भाजपा नेता के परिवार से ही है चाहे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में उड़ीसा के महामहिम रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास ही क्यों ना हो जिसे पार्टी ने को जमशेदपुर पूर्वी से प्रत्याशी बनाया है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन को सरायकेला से ,जबकि चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन को घाटशिला से टिकट दे दिया इस पर झारखंड मुक्ति मोर्चा सवाल खड़े कर रही है कि यह कैसा परिवारवाद है बाप बेटे दोनो को एक ही चुनाव में टिकट दे दिया। इतना ही नहीं बीजेपी की सूची में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा को पोटका विधानसभा से वहीं झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा को जगन्नाथपुर विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया है।
इन्होने थामा दूसरी पार्टी का हाथ
रघुवर दास की सरकार में मंत्री रही भाजपा नेत्री लुईस मरांडी ने बीजेपी का दामन छोड़ झारखंड मुक्ति मोर्चा की सदस्यता ले ली है। वहीं अगला नाम जमुआ के सिटिंग विधायक केदार हाजरा का है उन्होंने सूची जारी होने से पहले ही भारतीय जनता पार्टी छोड़कर झारखंड मुक्ति मोर्चा की सदस्यता ले ली थी साथ ही बहरागोड़ा के पूर्व विधायक कुणाल सारंगी ने भी झारखंड मुक्ति मोर्चा की सदस्यता ले ली है, बता दे की कुणाल सारंगी बीजेपी से पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा के ही सदस्य थे। पूर्व प्रत्याशी गणेश महली ने भी भाजपा छोड़कर झारखंड मुक्ति मोर्चा का दामन थाम लिया है ।