अंतरिक्ष से लौटीं सुनीता विलियम्स, अब शारीरिक व मानसिक चुनौतियों से पड़ेगा जूझना

TheHoHallaTeam
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नौ महीने बाद स्पेस से सुनीता विलियम्स की वापसी दुनिया भर में खुशी की लहर लेकर आई है। लेकिन धरती से इतने दिन दूर रहने वाली सुनीता और उनके साथी बुच विल्मोर के लिए यहां के माहौल के साथ सामंजस्य बैठाना आसान नहीं होगा। इतने दिनों तक लो ग्रैविटी में रहने की वजह से उनके शरीर में कई तरह के बदलाव आए हैं। दोनों अंतरिक्ष यात्रियों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

नौ महीने खिंच गया आठ दिन का मिशन

नासा की भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से धरती पर लौट चुके हैं। दोनों जून 2024 में आठ दिन के मिशन पर स्पेस स्टेशन गए थे लेकिन उन्हें वहां ले जाने वाला अंतरिक्ष यान बोइंग के स्टारलाइन खराब हो गया और 8 दिन का मिशन नौ महीने खिंच गया। अब दोनों अंतरिक्ष यात्री मंगलवार (18 मार्च) को स्पेसएक्स क्रू ड्रैगन यान पर सवार होकर पृथ्वी पर लौटे हैं।

मांसपेशियां हो जाती हैं कमजोर

जानकर बताते हैं कि सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर दोनों को अपनी इस लंबी यात्रा के बाद शारीरिक रूप से काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। दोनों को कुछ समय तक ‘बेबी फीट’ जैसा फील होगा यानी पैरों की तलवों की स्किन लम्बे समय तक अंतरिक्ष में रहने की वजह से नरम हो जाती है और छिल सकती है। उनके पैर बिल्कुल वैसे ही सेंसिटिव होंगे जैसे छोटे बच्चों के होते हैं।
इसके अलावा दोनों को मसल एट्रोफी का अनुभव होगा, यानी उनकी मांसपेशियां हल्की व कमजोर हो गई होंगी, जिसके कारण उन्हें चलने में कठिनाई हो सकती है।

हड्डियां कमजोर होने से फ्रैक्चर होने का खतरा

अंतरिक्ष यात्री का बोन मास एक महीने में एक प्रतिशत कम हो जाता है, यानी सुनीता और बुच का बोन मास नौ प्रतिशत तक कम हो गया है, जिससे हड्डियां कमजोर होने से फ्रैक्चर की संभावना ज्यादा हो गई है। माइक्रोग्रैविटी में मांसपेशियां, विशेष रूप से पीठ के निचले हिस्से व पैर अपना मास और शक्ति खो देते हैं क्योंकि अंतरिक्ष में उनका उपयोग शरीर के वजन को सहारा देने के लिए नहीं किया जा रहा होता। इस वजह से पृथ्वी पर वापस लौटने पर अंतरिक्ष यात्रियों को खड़े होने, चलने और संतुलन बनाने में कठिनाई का अनुभव हो सकता है। विलियम्स और विल्मोर की आंखों पर भी असर पड़ सकता है। जीरो ग्रैविटी की वजह से सिर में लिक्विड जमा हो जाता जिससे दृष्टि संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

अंतरिक्ष प्रवास का दिल पर भी पड़ सकता असर

इतना लम्बा अंतरिक्ष प्रवास दिल पर भी भारी पड़ सकता है। कम ग्रैविटी में हृदय अपना आकार बदल लेता है और अंतरिक्ष में हृदय को इतनी मेहनत भी नहीं करनी पड़ती, जिसके कारण धरती पर वापस आने पर अंतरिक्ष यात्री को हृदय संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा वेट लेस टंग, खाने के स्वाद का अनुभव न होना, डिप्रेशन जैसी कई समस्याएं हैं, जिनके निकलने में अंतरिक्ष यात्रियों को समय लगेगा।

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