वाराणसी, 29 अगस्त
अंशुल मौर्या
नगर निगम, जो शहर को जलभराव से राहत दिलाने का कार्य करता है, उसका मुख्यालय खुद जलभराव की समस्या से जूझ रहा है। नगर निगम मुख्यालय के भूतल में पूरे 12 महीने पानी भरा रहता है। नगर निगम विभाग के कार्यालय की स्थिति इतनी दयनीय है कि छत से लगातार पानी टपकता रहता है, जिससे पंखे और ट्यूबलाइट के तारों में करंट आ जाता है। इस स्थिति में कर्मचारियों को पंखे और लाइट बंद करके गर्मी और अंधेरे में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता है।
नगर निगम मुख्यालय का भूतल पानी से इतना भर चुका है कि इसे सुरक्षित कहना मुश्किल है। नगर निगम ने हाल ही में शहर के 304 जर्जर भवनों को नोटिस जारी किया है, लेकिन अपने मुख्यालय की हालत पर ध्यान नहीं दिया है। मुख्य अभियंता इस समस्या की जांच शुरू कर दी है और भूतल में भरे पानी को निकालने के लिए उपायों पर काम चल रहा है।
नगर निगम मुख्यालय का निर्माण 1959 में हुआ था और इसे अस्पताल के रूप में उपयोग के लिए बनाया गया था, लेकिन अब यह नगर पालिका कार्यालय के रूप में उपयोग किया जाता है। बारिश के मौसम में यहां जलभराव की समस्या और भी गंभीर हो जाती है, जिसके लिए पंप का उपयोग करना पड़ता है। अगर शासन नए भवन के निर्माण के प्रस्ताव को स्वीकृति दे देता है, तो इस जलभराव से ग्रस्त भवन को ध्वस्त कर दिया जाएगा।