टूटते तारों के लिए खास है आज की रात …आसमान में दिखेगा नजारा

TheHoHallaTeam
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हरेंद्र दुबे

गोरखपुर 22 अप्रैल 2025:

यूपी के गोरखपुर स्थित वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला में तैनात खगोलविद आज की रात खास नजारा देखने की तैयारी में जुटे हैं। आज पृथ्वी से लगभग सौ किमी की ऊंचाई पर आसमान के पूर्व उत्तर हिस्से में टूटते तारों का दृश्य दिखाई देगा। इन्हें आम भाषा में शूटिंग स्टार्स और खगोल विज्ञानी इसे उल्का वर्षा यानी लिरिड मीटीयर शॉवर कहते हैं।

आधी रात से भोर तक टूटेंगे तारे, उजाले से दूर रहकर बिना दूरबीन दिखेगा दृश्य

बंद कमरों में मोबाइल थामे अगर आप ऊब गए हैं और प्रकृति का मनोरम रूप देखने की इच्छा है तो आप की ये ख्वाहिश आज अंतरिक्ष पूरी कर देगा। इसके बारे में वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला के खगोलविद अमर पाल सिंह कहते हैं कि वैसे तो यह उल्का वृष्टि प्रत्येक वर्ष 16 अप्रैल से शुरू होकर लगभग 25 से 30 अप्रैल तक भी दिखाई देती है ,लेकिन इस बार यह आज की मध्य रात्रि से 23 अप्रैल की भोर तक अपने चरम पर दिखाई देगी। इस दौरान लगभग 10 से 20 उल्काएं प्रति घंटे तक दिखाई देने की संभावना है। लिरिड मीटीयर शॉवर वर्ष की बहुत ही चमकदार उल्का वृष्टि नहीं होती है इसलिए आप को इसे सावधानी पूर्वक देखने की आवश्यकता है जैसे उच्च स्तर के बाहरी प्रकाश से दूरी बनाएं तब आसानी से आप इसका आनंद उठा सकते हैं। किसी दूरबीन की जरूरत नहीं है बस लाइट पॉल्यूशन न हो।

वीणा तारामंडल से आती दिखेगी उल्का वृष्टि

प्रत्येक वर्ष अप्रैल में होने वाली यह उल्का वृष्टि आकाश में लायरा कांस्टेलेशन जिसे हिंदी में वीणा तारामण्डल कहा जाता है, मध्यरात्रि में आकाश साफ़ होने पर बिल्कुल साफ दिखाई देता है , इसका सबसे चमकीला तारा वेगा है। यह उल्का वृष्टि उसी लायरा तारामंडल की तरफ़ से आती हुई दिखाई देगी। सौर मंडल के ग्रहों के बीच के अंतरिक्ष में पत्थर और लोहे के अनगिनत छोटे छोटे कंकड़ या कण मौजूद हैं, ऐसा कोई कण जब पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण में आने पर तीव्र वेग से पृथ्वी के वायुमंडलीय घर्षण के कारण रात्रि के आकाश में क्षण भर के लिए चमक उठता है, इसी को उल्का या टूटता तारा कहा जाता है।

हर साल अप्रैल में होती है खगोलीय घटना

लिरिड उल्का बौछार एक खगोलीय घटना है। जो हर साल अप्रैल के अंत में होती है, यह उल्का वर्षा पृथ्वी के वायुमंडल में धूमकेतु थैचर के मलबे के कणों के द्वारा होती है। थैचर धूमकेतु 415 वर्षों में सूर्य का एक चक्कर लगाता है, और यह धूमकेतु दुबारा वर्ष 2276 में फ़िर से पृथ्वी से नज़र आयेगा। फिलहाल के लिए आप इस से होने वाली उल्का वृष्टि का आनंद तो उठा ही सकते हैं।

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