Ho Halla Special

नंदनी घी का क्या है मामला

22 सितंबर 2024 

आंध्र प्रदेश के तिरुमाला में तिरुपति मंदिर के ‘प्रसादम’ में कथित तौर पर जानवरों की चर्बी मिलाने का विवाद जारी है. इस बीच, कर्नाटक सरकार ने एक निर्देश जारी कर राज्य के मंदिर मैनेजमेंट बॉडी के अंतर्गत आने वाले सभी 34,000 मंदिरों में नंदिनी ब्रांड के घी (Nandini Brand Ghee) के इस्तेमाल को अनिवार्य कर दिया है. सरकार का कहना है कि सभी मंदिरों को मंदिर के अनुष्ठानों, मसलन- दीपक जलाना, प्रसाद तैयार करना, और ‘दसोहा भवन’ (जहां भक्तों को भोजन परोसा जाता है) में सिर्फ़ नंदिनी घी का इस्तेमाल किया जाए. इसे कर्नाटक दुग्ध संघ (KMF) तैयार करता है.

माना जाता है कि दक्षिण भारत, ख़ासकर कर्नाटक में डेयरी उत्पादों के लिए ‘नंदिनी’ सबसे विश्वसनीय नाम है. नंदिनी दूध और घी अपनी हाई क्वालिटी के लिए प्रसिद्ध हैं. तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम के लिए भी नंदिनी सालों तक पहली पसंद रही. नंदिनी ब्रांड के घी ने 2013 से 2018 के बीच TTD को क़रीब 4,000 मीट्रिक टन घी की आपूर्ति की थी. 

2019 में भी लगभग 1,170 टन आपूर्ति की गई. हालांकि, 2020 से नंदिनी ने तिरुपति देवस्थानम को घी की आपूर्ति अस्थायी रूप से बंद कर दी. बताया गया कि नंदिनी अन्य प्रतिस्पर्धियों की कम क़ीमतों से मेल नहीं खा सकी. इसके चलते ठेका किसी और को मिल गया था.

सरकार का ये निर्देश तिरुपति के प्रसिद्ध श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में लड्डू बनाने में घी में जानवर का वसा (फैट) के कथित इस्तेमाल को हो रहे विवाद के बाद आया है. इसका मैनेजमेंट तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) करती है. ये विवाद सबसे पहले तब शुरू हुआ, जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने मंदिर में इस्तेमाल किए जाने वाले घी की गुणवत्ता पर चिंता जताई. उन्होंने दावा किया कि नमूनों में चर्बी और अन्य पशु वसा की मिले.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button