क्यों मर रहे है चीते?

Shubham Singh
Shubham Singh

मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में अफ्रीका से लाए एक और चीते की मौत हो गई है (Kuno Cheetah Death Pawan). बताया जा रहा है कि ये मौत नाले में डूबने की वजह से हुई है. हालांकि, चीता प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों और रिसर्चर्स के मुताबिक, मौत के हालात कई सवाल खड़े करते हैं. बता दें, अब अफ्रीका से कूनो लाए गए 20 चीतों में से मरने वालों की संख्या 8 हो चुकी है.

मृतक चीते का नाम पवन है. उसे सितंबर 2022 में नामिबिया से कूनो लाया गया था. तब वो तीन साल का था. मार्च 2023 में जंगल में छोड़े जाने वाला वो पहला नर था. कूनो के कर्मचारी उसे घुमक्कड़ कहते थे क्योंकि वो बाकी सभी नर चीतों की तुलना में बहुत दूर तक चला जाता था. कई बार पवन को बेहोश कर कूनो वापस लाया जाता था.

एक अधिकारी ने बताया कि 27 अगस्त को चीते का शव एक झाड़ी में फंसा हुआ मिला जहां वो बारिश के पानी से उफनती धारा में बहकर पहुंचा हो सकता है. जल स्तर में कमी की वजह से शरीर का पिछला हिस्सा पानी से बाहर पड़ा हुआ था. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए चीता प्रोजेक्ट टीम के एक सदस्य ने दावा किया कि पवन के फेफड़ों में पानी पाया गया था जो कि डूबने की ओर इशारा करता है. उन्होंने बताया कि कंजेस्टिव हार्ट फेलियर या निमोनिया की वजह से भी फेफड़ों में पानी भर सकता है.

एक्सपर्टस् सवाल उठा रहे हैं कि एक फुर्तीला चीता जो हाल ही में चंबल नदी को तैरकर पार कर गया था, वो एक नाले में कैसे डूब सकता है? एक स्वस्थ वयस्क चीता तब तक कैसे बह या डूब जाएगा जब तक कि वो पहले से ही कमजोर ना हो? पवन की मौत पर भारतीय वन्यजीव ट्रस्ट के मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी एनवीके अशरफ ने कहा कि एक स्वस्थ चीता कभी पानी में नहीं बहेगा या डूबेगा जब तक कि बाढ़ जैसे हालात ना हों. ऐसी स्थिति में डूबना मौत का प्राइमरी कॉज नहीं हो सकता.

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