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हिमाचल प्रदेश की अनोखी राजनीति

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने 29 अगस्त को घोषणा की कि मंत्रिमंडल के सदस्यों ने अगले 2 महीने तक वेतन नहीं लेने का फैसला लिया है. वेतन के अलावा सरकार के मंत्री ट्रेवेलिंग भत्ता (TA) और महंगाई भत्ता (DA) भी नहीं लेंगे. मुख्यमंत्री का कहना है कि ये फैसला राज्य में वित्तीय संकट के मद्देनजर लिया गया है. उन्होंने सभी विधायकों से भी ऐसा ही कदम उठाने का अनुरोध किया.

सीएम सुक्खू ने कहा कि राज्य की अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है और वह नहीं चाहते कि यह विकास रुके. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार बाकी सभी अधिकारियों को टीए, डीए का भुगतान करेगी.

राज्य सरकार के इस फैसले पर बीजेपी प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधा. कहा कि राज्य के पास वेतन देने के लिए पैसे नहीं हैं. 

बिज़नेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक महीने की शुरुआत में सुक्खू ने मौजूदा वित्तीय संकट के लिए भाजपा की पिछली सरकार को जिम्मेदार ठहराया था. उन्होंने कहा था कि पिछली सरकार के लोकलुभावन फैसलों ने राज्य के खजाने को हजारों करोड़ रुपये के बोझ तले दबा दिया. उन्होंने कहा कि भाजपा की मुफ्त पानी और बिजली की योजना ने राज्य के खजाने पर सालाना 1,080 करोड़ रुपये का बोझ बढ़ाया है.

इस बीच अंग्रेजी अखबार द ट्रिब्यून के मुताबिक राज्य की खस्ताहाल वित्तीय स्थिति पर चिंता जताते हुए सीएम सुक्खू ने केंद्र सरकार पर अनुदान कम करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि साल 2023-24 में राजस्व घाटा अनुदान (RDG) 8,058 करोड़ रुपये था. जिसे चालू वित्त वर्ष के दौरान 1,800 करोड़ रुपये घटा कर 6,258 करोड़ रुपये कर दिया गया. उन्होंने कहा, “2025-26 में राजस्व घाटा अनुदान को 3,000 करोड़ रुपये और घटाया जाएगा और मात्र 3,257 करोड़ रुपये ही अनुदान दिया जाएगा.”

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