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“जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ जांच, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- जज को नहीं छोड़ा जाएगा”

नई दिल्ली, 24 मार्च 2025

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के घर से भारी मात्रा में जली हुई नकदी मिलने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता में तीन जजों की समिति गठित की गई है, जो मामले की ‘फैक्ट फाइंडिंग जांच’ करेगी। इस समिति में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की जज जस्टिस अनु शिवरामन शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में अपने प्रमुख फैसले में स्पष्ट किया था कि इस प्रकार की जांच ‘फैक्ट फाइंडिंग’ जांच की होगी, जिसमें संबंधित जज को अपनी बात रखने का अधिकार होगा, लेकिन इसमें गवाहों की जांच या वकीलों की प्रतिनिधित्व की प्रक्रिया नहीं होगी। समिति अपनी प्रक्रिया को ‘नेचुरल जस्टिस’ के सिद्धांतों के तहत तैयार करेगी और जांच के बाद रिपोर्ट सीजेआई को सौंपेगी। रिपोर्ट में यदि आरोपों को गंभीर पाया गया, तो जज को हटाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।

दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने जस्टिस वर्मा के घर से बरामद बेहिसाब नकदी की ‘इन-हाउस जांच’ पूरी करने के बाद गहन जांच की आवश्यकता बताई थी। इस घटनाक्रम के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले में सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया है।

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