अनिता चौधरी
गुवाहाटी, 3 जनवरी 2024
भारतीय रेल के एसी कोच में इस्तेमाल की जाने वाली चादर और पिलो कवर की सफाई के नए मानक तय किये गए हैं। यात्रियों को अब और भी चमकदार चादरें मिलेंगी।
ट्रेनों के एसी कोच में बेडरोल और कंबलों धुलाई को लेकर अक्सर मिलने वाली शिकायतें दूर करने का बीड़ा उठाते हुए रेलवे ने तय किया है कि अगर 85 प्रतिशत से कम चमक हुई तो चादर का इस्तेमाल बेडरोल में नहीं किया जाएगा। उसे यात्रियों से नहीं दिया जाएगा। यहां तक की रेलवे ने अब पेट्रोल में मिलने वाले कंबल की धुलाई हर 15 दिन पर किये जाने का सिलसिला शुरू हो गया। पहले कंबल की धुलाई एक महीने पर की जाती थी। गुवाहाटी स्थित पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के बूट लॉन्ड्री को मीडिया को दिखाने के दौरान यहां के सीनियर सेक्शनल इंजीनियर निपन पोलिता ने बताया कि रेलवे की बूट लॉन्ड्री आधुनिक होती जा रही हैं। पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे ने सभी यात्रियों को साफ और अच्छी गुणवत्ता वाले कंबलों, तकिए के कवर और बेडशीट (लिनन) उपलब्ध कराने के लिए हर रोज 32,000 बेडरोल की क्षमता वाला गुवाहाटी में एक नया लॉन्ड्री केयर सेंटर स्थापित किया गया है। गुवाहाटी में अत्याधुनिक लॉन्ड्री एक सुरंग आधारित प्रणाली है, जिसमें कई विशेषताएं हैं, जिसमें पानी, बिजली, भाप और रसायनों के उपयोग को अनुकूलित करते हुए बड़ी मात्रा में लिनन को संभालने की क्षमता और बाद के चरणों में स्वचालित स्थानांतरण शामिल है। निपन पोलिता ने आगे बताया कि रेलवे की यह लॉन्ड्री अत्याधुनिक
तकनीक से सुसज्जित है। बेडरोल की गुणवत्ता को कायम रखने के लिए ब्रांडेड केमिकल और बेहतर मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है। इसके साथ ही लॉन्ड्री की सफाई के बाद सबसे आखिर में सफाई मानकों को सफेदी (चमक) मीटर से मापा भी जाता है।
उन्होंने बताया कि चादरों की चमक को मापने के लिए सफेदी मीटर का इस्तेमाल किया जाता है। इसका मानक इस तरह से तय करते हैं एक नई चादर की पांच बार धुलाई करने के बाद उसे चमक को पैमाना मान लिया जाता है। इसके बाद उसे मिलान करके की सफेदी आंकी जाती है। यदि यह निर्धारित मानक से 85 प्रतिशत से कम आती है तो उसे इस्तेमाल से बाहर कर दिया जाता है। आमतौर पर चादर, पिलो कवर और तौलिए की धुलाई हर इस्तेमाल के बाद की जाती है जबकि कंबल की धुलाई हर 15 दिन पर हो रही है। एक चादर को तकरीबन एक वर्ष के बाद उसे इस्तेमाल से बाहर कर दिया जाता है।
रेलवे में बूट लॉन्ड्री, रेलवे की ज़मीन पर बनाई जाती हैं। इनकी वॉशिंग सुविधाओं और कर्मचारियों का प्रबंधन निजी ठेकेदार करता है। गुवाहाटी के बूट लॉन्ड्री में 60 किलो के वॉशिंग चैंबर हैं। लॉन्ड्री में बेडरोल की पहली खेप 45 मिनट धुलकर बाहर आती है। यहां प्रतिदिन 32000 चादरें, 16000 तौलिए और 16000 पिलो कवर की धुलाई होती है। आमतौर पर बेडरोल का वजन एक किलोग्राम का होता है जबकि कंबल का वजन 973 ग्राम का होता है। एक किलोग्राम की धुलाई के लिए रेलवे को जीएसटी के साथ 23.59 रुपए खर्च करने पड़ते हैं।