प्रयागराज, 3 नवम्बर 2024:
उत्तर प्रदेश के फूलपुर विधानसभा उपचुनाव को लेकर सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने अपनी कमर कस ली है। भाजपा, बसपा, सपा और कांग्रेस सहित कई दलों ने इस चुनावी मुकाबले में अपने उम्मीदवारों को जिताने के लिए जनसंपर्क और बैठकों का सिलसिला तेज कर दिया है।
उपचुनाव में अपनी स्थिति मजबूत करने के उद्देश्य से सभी पार्टियां कार्यकर्ताओं को जुटाकर रणनीति बना रही हैं और मतदाताओं तक पहुंचने के हर संभव प्रयास कर रही हैं।
शनिवार को भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार दीपक पटेल के समर्थन में एक बड़ी बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक की अगुवाई पूर्व विधायक प्रभा शंकर पाण्डेय ने की, जिसमें पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया।
बैठक में पार्टी के सभी प्रमुख कार्यकर्ताओं को उपचुनाव में भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए और रणनीतिक तौर पर मतदाताओं तक पहुंचने का खाका तैयार किया गया। इस मौके पर यह तय किया गया कि पार्टी का जनसंपर्क अभियान क्षेत्र के हर मतदाता तक पहुंचेगा और उन्हें भाजपा की योजनाओं तथा उम्मीदवार के बारे में बताया जाएगा।
उधर, इण्डिया गठबंधन के प्रत्याशी मुज्तबा सिद्दीकी को जिताने की तैयारियों के तहत सपा और कांग्रेस के नेताओं की एक संयुक्त बैठक फूलपुर के वीरकाजी इलाके में आयोजित की गई। इस बैठक में कांग्रेस नेता और सांसद उज्जवल रमण सिंह ने कार्यकर्ताओं को चुनावी टिप्स दिए और कहा कि गठबंधन के प्रत्याशी को जिताने के लिए हर कार्यकर्ता को घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि सभी कार्यकर्ता मतदाताओं को गठबंधन की नीतियों और क्षेत्र के विकास के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के बारे में बताएं। इस बैठक में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह, सपा एमएलसी डॉ. मानसिंह यादव और जिलाध्यक्ष अनिल यादव जैसे वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहे, जिन्होंने कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाया।
बसपा के उम्मीदवार जितेंद्र सिंह के समर्थन में भी जनसंपर्क तेज कर दिया गया है। जिलाध्यक्ष पंकज गौतम के नेतृत्व में कई कार्यकर्ताओं ने क्षेत्र का दौरा किया और मतदाताओं से संपर्क साधा। कार्यकर्ताओं ने बसपा की नीतियों और उम्मीदवार के प्रति जनता को आश्वस्त करने का प्रयास किया, ताकि चुनाव में बसपा को समर्थन मिल सके।
फूलपुर उपचुनाव में प्रमुख राजनीतिक दलों की इस सक्रियता ने क्षेत्र में राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है। सभी दलों के नेता और कार्यकर्ता अपने-अपने उम्मीदवारों के पक्ष में जी-जान से जुट गए हैं, जिससे उपचुनाव के परिणाम को लेकर कड़ी प्रतिस्पर्धा की संभावना बन रही है।