आजमगढ़ से पानी छोड़ा, बलिया में मछली माफियाओं ने किया ‘खेल’; संकट में अब गाजीपुर के लाखों किसान

mahi rajput
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गाजीपुर,15 अक्टूबर 2024

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से होते हुए मगई नदी गुजरती है. यह नदी किसानों के लिए वरदान भी है और अभिशाप भी. जब नदी संयमित रफ्तार में बहती है, तब यहां के किसानों को सिंचाई में इससे बहुत मदद मिलती है. लेकिन जब नदी का जल स्तर बढ़ता है तो हजारों बीघे खेत पानी में डूब जाते हैं और फसलें बर्बाद हो जाती हैं.

यह नदी काफी उथली हो गई है. बलिया के सीमावर्ती इलाके में मछली माफियाओं की ओर से नदी में जाल और पत्थर डालकर नदी के प्रवाह को रोक दिया जाता है. वहीं, हर साल सितंबर और अक्टूबर में आजमगढ़ के शारदा सहायक नहर में काफी मात्रा में पानी छोड़ा जाता है. यह नहर भी मगई नदी को टच करता है. जब नहर का पानी आकर नदी में मिलता है तो नदी का जलस्तर बढ़ जाता है

नदी के तटवर्ती इलाकों में बाढ़ की स्थितिनदी का रास्ता बलिया में अवरोध किए जाने से नदी का जलस्तर काफी तेजी से बढ़ता है. अगर ये रास्ता अवरोध नहीं होता तो नदी का पानी आगे जाकर गंगा में मिल जाता. इस साल भी मगई नदी के तटवर्ती इलाकों में बाढ़ की स्थिति बन गई है, जिससे करीब 20000 बीघे की खेती प्रभावित हो चुकी है.

मगई नदी का पानी लौवाडीह ,जोगामुसाहिब के सिवान (खेतों) से होते हुए गांवों के काफी निकट पहुंच गया है. पानी के प्रवाह से रघुवरगंज गंज से लेकर सोनवानी तक के कई गांव के सिवान पूरी तरह से डूब चुके हैं, जिससे अब 20 हजार बीघे की रबी की बुआई नहीं हो पाएगी. प्रशासन भी कुम्भकर्णी नींद में सोया है.

दो दर्जन से ऊपर गांवों की खेती प्रभावित

मोहम्मदाबाद तहसील के करीब दो दर्जन से ऊपर गांवों की खेती योग्य भूमि, जो इसी नदी के किनारे है, वह पूरी तरह से डूब चुकी है. इसके अलावा लठ्ठूडीह के बाद बलिया सीमा तक मंगई नदी में मछली मारने के लिए जगह-जगह पर जाल लगाई गई है. यह जाल पत्थर डालकर लगाई गई है, जिससे पानी आगे जाने की वजह रुक गया है.

नदी का पानी बैक होकर आ रहा है. मंगई नदी बलिया के फेफना में गंगा में समाहित होती है.खेतों में पानी भर जाने की वजह से रबी फसल के साथ ही दलहनी फसल जैसे- चना ,मसूर, खेसारी आदि की बुआई भी नहीं हो पा रही है. मोहम्मदाबाद तहसील का रघुवरगंज, परसा, राजापुर, खेमपुर, सिलाईच, जोगामुसहिब, देवरिया, सियाड़ी, महेंन, करीमुद्दीनपुर, लौवाडीह, सोनवानी ,मसौनी, नसरतपुर आदि गांव के खेतों में पानी भर गया है.किसानों की मानें तो अभी जिस हिसाब से खेतों में पानी है, अगले 10 से 15 दिन तक निकलने की कोई उम्मीद नहीं है.

सूत्रों की मानें तो साल 2022 में शारदा सहायक नहर के चीफ इंजीनियर के द्वारा मगई नदी का सर्वे किया गया था. जिला प्रशासन को नदी के उथली होने का रिपोर्ट भी दिया गया था. लेकिन जिला प्रशासन ने इस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की. इसके चलते अब किसानों को लगातार कई साल से इस परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

किसानों ने बताई पीड़ा

सियाड़ी के किसान धनंजय राय ने बताया कि जब तक आंदोलन नहीं होता, तब तक प्रशासन कुम्भकर्णी नींद से नहीं जागता है. किसान विनोद ने कहा कि यह समस्या केवल एक वर्ष की नहीं है. बार-बार किसानों, मछुआरों और माफियाओं में संघर्ष होता रहता है. कहीं यह संघर्ष कभी जानलेवा न साबित हो जाए, इस पर भी विचार करना चाहिए. किसान बबलू राय ने कहा कि इस समस्या का स्थाई समाधान होना चाहिए और प्रशासन को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए, जिससे सितंबर और अक्टूबर के माह में जाल न लग सके.

क्या बोले अधिकारी?

सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता राजेंद्र सिंह ने बताया कि मगई नदी में पानी बढ़ने को लेकर हम लोग क्या कर सकते हैं, क्योंकि लोग बता रहे हैं कि यह पानी शारदा सहायक नहर से डिस्चार्ज होने के कारण आ रहा है. लेकिन विभाग के लोग इस बात को मानने को तैयार नहीं हैं. ऐसे में इस पानी का स्रोत कहां है, यह बता पाना संभव नहीं है.

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