प्रयागराज, 30 अक्टूबर 2024:
यमुनापार क्षेत्र में अवैध खनन ने विकराल रूप धारण कर लिया है। विशेष रूप से यमुना नदी के तटवर्ती घाटों और पहाड़ी इलाकों में सिलिका सैंड, गिट्टी और बालू का अवैध खनन बिना किसी रोक-टोक के जारी है। कोरांव, बारा, मेजा, और नैनी क्षेत्रों में दिन-रात चल रहे इस अवैध खनन ने कई पहाड़ों को गायब कर दिया है, जबकि कई अन्य पहाड़ अस्तित्व बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। खनन माफिया सक्रिय हैं, जबकि उन्हें रोकने की जिम्मेदारी रखने वाले मूकदर्शक बने हुए हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि जब अवैध खनन को लेकर शोर-शराबा बढ़ता है, तब कभी-कभार औपचारिकता के तौर पर कार्रवाई की जाती है, लेकिन कुछ दिनों के बाद स्थिति फिर से जस की तस हो जाती है। प्रतिदिन हजारों टन सिलिका सैंड और पहाड़ों से निकाली गई गिट्टी और रेत का परिवहन किया जाता है।
इसके अलावा, यमुना के तटीय इलाकों के कई घाटों पर जेसीबी से रेत और बालू का अवैध उत्खनन भी आम है, जो सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध और शासन के आदेशों के बावजूद जारी है। खनन में लगे ट्रक, डंपर और ट्रैक्टर-ट्रॉली दिन-रात सड़कों पर दौड़ते हैं, जो बारा, शंकरगढ़, परवेजाबाद, धरा और उसके आसपास के क्षेत्रों से पुलिस चौकियों के सामने से गुजरते हैं।
करछना, मेजा, नैनी, और कोरांव इलाकों में शाम होते ही खनन गतिविधियां तेज हो जाती हैं, जिससे सैकड़ों वाहन अवैध खनिज पदार्थों को ले जाते दिखते हैं।
इन क्षेत्रों में खनन माफियाओं की दबंगई और खादी-खाकी के गठजोड़ से अवैध खनन का यह गोरखधंधा और मजबूत हो रहा है, जिससे शासन और प्रशासन की सख्त पाबंदियों को चुनौती मिल रही है।