मणिपुर समस्या: कुकी-जो समुदाय के हठीले रुख से राज्य सरकार से बातचीत फिलहाल खटाई में

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इम्फाल, 31 अगस्त

मणिपुर के कुकी नेताओं के प्रमुख संगठन इंडीजिनस ट्रायबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) के कड़े रुख के बाद राज्य सरकार से बातचीत के ज़रिए समस्या का हल गहरे पानी में नज़र आ रहा है।

आईटीएलएफ के प्रवक्ता गिंजा वुअलजोंग ने स्पष्ट कहा है कि कुकी-जो समुदाय केवल केंद्र सरकार से ही बातचीत करेगा और उसके लिए केवल मैतई (मणिपुर) सरकार से अलग होना एकमात्र समाधान है।

उन्होंने कहा कि बातचीत भी केवल आईटीएलएफ की शर्तों पर होगी।

मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने एक साक्षात्कार में कहा था कि उन्होंने हिल एरिया कमेटी के अध्यक्ष नगा विधायक डिंगांगलुंग गांगमेई को कुकी-जो और मैतेई नेताओं के साथ बातचीत के लिए दूत के रूप में नियुक्त किया है। आईटीएलएफ ने फिलहाल मुख्यमंत्री एन.बीरेन सिंह की ओर से नियुक्त दूत से किसी भी तरह की बातचीत की संभावना से भी इंकार किया है।

गिंजा वुअलजोंग ने कहा कि “हमारा उस सरकार के अधीन रह सकना संभव नही है जिसने हमें मारा, भगाया और हमारी संपत्तियों और पूजा स्थलों को क्षति पहुंचायी।”

आईटीएलएफ के इस रवैये से कुकी-जो समुदाय, मणिपुर सरकार और मैतई समुदाय के बीच की खाई पटती नज़र नही आ रही है ।

पिछले साल मई में शुरू हुई जातीय हिंसा में अब तक दो सौ से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और हजारों परिवार विस्थापित हुए हैं।

मणिपुर के मुख्यमंत्री
ने हालांकि भरोसा जताया है कि अगले पांच-छह महीनों में शांति और बहाल हो जाएगी और सुलह का रास्ता निकल आएगा। उनका मानना है कि इसमें केंद्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और जातीय सामंजस्य को अंतिम रूप देगा। इस पर वुअलजोंग ने पारदर्शिता और जवाबदेही पर बल देते हुए एक और तीर छोड़ा कि कुकी-जो नागरिक समाज संगठन का राज्य सरकार पर भरोसा नहीं है।

वुअलजोंग ने एक ऑडियो रिकॉर्डिंग का हवाला दिया जिसमें एन बीरेन सिंह को कथित तौर पर कुकी बाहुल्य इलाकों पर बमबामी करने की बात करते सुने गए। अलबत्ता मणिपुर सरकार ने इस रिकॉर्डिंग की सत्यता पर संदेह व्यक्त किया है।

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