जम्मू-कश्मीर 18 अगस्त
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव सितंबर और अक्टूबर में तीन चरणों में होंगे। इनकी तारीखों का ऐलान भी हो गया है। हर पार्टी ने कमर कसना शुरू कर दिया है। इसी बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी के दिग्गज नेता उमर अब्दुल्ला का बड़ा बयान सामने आया है। अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा चुनावों के बाद अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के केंद्र के फैसले के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित करेगी। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य का दर्जा और विशेष दर्जा छीनने के केंद्र के फैसले के खिलाफ प्रस्ताव पास करना विधानसभा का पहला कार्य होगा।
राज्य का दर्जा नहीं, तो सुप्रीम कोर्ट का करेंगे रुख
उमर अब्दुल्ला, जो शुरुआत से ही आर्टिकल 370 के खिलाफ रहे हैं। अब्दुल्ला ने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने जल्द ही जम्मू कश्मीर को राज्य का दर्जा नहीं दिया तो नेशनल कॉन्फ्रेंस सर्वोच्च न्यायालय में जाएगी। यहां कुछ भी आसानी से नहीं मिलता। जम्मू कश्मीर में यह जो विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, केंद्र सरकार स्वेच्छा से नही बल्कि मजबूरी में सर्वोच्च न्यायालय के दबाब में करा रही है।
मनोज सिन्हा पर साधा निशाना
उमर अब्दुल्ला ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा पर भी निशाना साधा और कहा कि निर्वाचित सरकार यहा सबसे पहले उपराज्यपाल के तानाशाहीपूर्ण शासन को समाप्त करेगी। उपराज्यपाल जम्मू-कश्मीर के अयोग्य शासक हैं। यहां तक कि उनके पास जो शक्तियां हैं, वो एक निर्वाचित सरकार और एक मजबूत मुख्यमंत्री होने के बाद उनका खुले तौर पर इस्तेमाल नहीं कर सकते।
2018 से लगा है राष्ट्रपति शासन
चुनाव आयोग ने जम्मू कश्मीर में 18 व 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किया है। 4 अक्टूबर को वोटों की गिनती के बाद चुनाव के नतीजे घोषित किए जाएंगे। जम्मू-कश्मीर में पिछला विधानसभा चुनाव 2014 में नवंबर-दिसंबर महीने के दौरान हुआ था। चुनाव के बाद राज्य में भाजपा और पीडीपी की गठबंधन की सरकार बनी थी और महबूबा मुफ्ती को मुख्यमंत्री बनाया गया था। बाद में भाजपा के अलग होने पर यह सरकार गिर गई थी और 19 दिसंबर 2018 से ही राज्य में में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है।