“नसबंदी के विरोध में पुलिस ने की थी 42 लोगों की हत्या, 48 साल पहले की दर्दनाक घटना”

mahi rajput
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मुजफ्फरनगर,18 अक्टूबर 2024

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में आपातकाल का एक काला अध्याय शहर के खालापार में आज के ही दिन लिखा गया था। नसबंदी अभियान का विरोध करने पर पुलिस ने आंदोलनकारी लोगों पर सीधी गोली चला दी थी, जिसमें पुलिस की गोली लगने से 42 लोगों की मौत हो गई थी। गोलीकांड में मारे गए लोगों की याद में खालापार में शहीद चौक की स्थापना की गई थी। घटना के 48 साल बीतने के बावजूद आज तक रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई। तीन माह पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नेता प्रतिपक्ष पर हमला बोलते हुए संसद में इस मुद्दे को उठाया था।

देश में 25 जून 1975 को तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी की संस्तुति पर राष्ट्रपति ने आपातकाल की घोषणा की थी। आपातकाल के दौरान देश एक ओर राजनीतिक संकट से जूझ रहा था। उधर, नसबंदी अभियान के विरोध में लोगों के दिलों में गुस्सा था। सरकारी विभागों ने सोल्जर्स बोर्ड और जिला अस्पताल में कैंप लगा रखे थे। बुजुर्ग और जवानों को जबरदस्ती पकड़कर नसबंदी के लिए कैंप में लाया जा रहा था। जिसके विरोध में 18 अक्टूबर 1976 को लोगों में आक्रोश फैल गया था। आक्रोशित लोगों ने शहर में हंगामा किया था। खालापार में उपद्रव दबाने के लिए पुलिस ने आंदोलकारियों पर सीधी फायरिंग कर दी थी।

शहर में तीन दिन तक लगाना पड़ा था कर्फ्यू

क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर पुलिस की गोली लगने से 42 लोग मारे गए थे। दर्जनों घायल हुए। हंगामा कर रहे सैकड़ों लोगों को पुलिस ने मौके से गिरफ्तार किया था। तीन दिन तक शहर में कर्फ्यू जारी रहा था। जिसके बाद शासन ने तत्कालीन डीएम का स्थानांतरण कर योगेन्द्र नारायण माथुर को जिले की कमान सौंपी थी।

नसबंदी कांड ने बदल दी थी देश की सरकार

कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष मो. तारिक कुरैशी बताते हैं कि नसबंदी के विरोध में हुए गोलीकांड के बाद ही देश की सरकार बदल गई थी। 1976 में हुए लोकसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर सीट से सईद मुर्तजा विजयी हुए थे। आम चुनाव के बाद केंद्र में सरकार भी बदल गई थी।

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