नई दिल्ली ,26 अक्टूबर 2024
सिंथेटिक ड्रग्स असल में नशे के ऐसे “नकली” रूप हैं जो लैब में केमिकल्स से बनाए जाते हैं। ये प्राकृतिक ड्रग्स जैसे गांजा या अफीम से कई गुना ज्यादा तेज़ और खतरनाक हो सकते हैं। इनका असर ऐसा होता है कि इंसान कुछ ही मिनटों में नशे में चूर हो सकता है, लेकिन इसके साथ ही ये शरीर और दिमाग पर भयानक असर डाल सकते हैं। मजे की बात यह है कि इन्हें बनाने के लिए खेती या प्राकृतिक संसाधनों की जरूरत नहीं होती, बस कुछ केमिकल्स मिलाए और बन गया ड्रग! इसलिए ये ड्रग माफिया के लिए सस्ते और आसान हो गए हैं, लेकिन समाज के लिए बेहद खतरनाक हैं।
सिंथेटिक ड्रग्स का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है, खासकर युवाओं पर। विशेषज्ञों के अनुसार, इसकी पहुंच आसान हो चुकी है, और इंटरनेट इसके वितरण में सहायक हो रहा है। डॉ. राहुल गुप्ता का मानना है कि इससे निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर एकीकृत नीति और भारत-अमेरिका जैसे देशों के बीच सहयोग जरूरी है।
भारतीय मूल के डॉ. राहुल गुप्ता, जो अमेरिका में नेशनल ड्रग कंट्रोल पॉलिसी के डायरेक्टर हैं, ने हाल ही में भारत दौरे पर भारत-अमेरिका के बीच ड्रग रोकथाम के एक्शन प्लान पर चर्चा की। हाल ही में दोनों देशों में ड्रग्स की बड़ी खेप बरामद की गई है, जिसने दोनों सरकारों की चिंता बढ़ा दी है। दिल्ली में 900 किलो कोकीन की बरामदगी में दोनों देशों के संयुक्त ऑपरेशन और सूचना साझेदारी का योगदान था। डॉ. गुप्ता बाइडेन प्रशासन के साथ मिलकर एक वैश्विक नीति बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं, जो ड्रग्स के प्रसार को रोकने में सहायक होगी।
डॉ. राहुल गुप्ता ने एनबीटी को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने ड्रग्स की रोकथाम के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। अमेरिका भारत के नशा मुक्त अभियान में सहयोग के लिए हर संभव सहायता देने को तैयार है। हाल ही में भारत में जब्त की गई बड़ी मात्रा में ड्रग्स पर दोनों देश मिलकर जांच कर रहे हैं। पिछले साल अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने सिंथेटिक ड्रग्स से निपटने के लिए एक ग्लोबल गठबंधन की शुरुआत की थी, और डॉ. गुप्ता का यह भारत दौरा उसी गठबंधन के तहत था।
डॉ. राहुल गुप्ता ने कहा कि सिंथेटिक ड्रग्स का बढ़ता चलन गंभीर खतरा है और इसे रोकने के लिए 155 देशों का गठबंधन बना है, जिसमें भारत की अहम भूमिका है। बाइडन प्रशासन के प्रयासों से अमेरिका में ड्रग ओवरडोज़ से होने वाली मौतों में 40% की कमी आई है। उन्होंने बताया कि भारत-अमेरिका ने साझा फ्रेमवर्क पर काम शुरू किया है, जिसमें ट्रैफिकिंग रोकने और पुनर्वास पर विशेष ध्यान दिया गया है।