गंगा ने धारण किया रौद्र रूप, बाढ़ के आगे बेबस इंसान, डूब गए श्मशान, आरती-पूजा पाठ भी प्रभावित

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वाराणसी। उत्तराखंड और हिमाचल में हो रही भारी बारिश का असर अब गंगा नदी पर साफ दिखने लगा है। मोक्ष नगरी काशी में गंगा ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू कर दिया है। गंगा के गर्वीले घाट की सीढ़ियां डूब गई है। इसके चलते मणिकर्णिका व हरिश्चंद्र घाट पर शवदाह और दशाश्वमेध की गंगा आरती का स्थान बदल गया है। हालात ये हो गए हैं कि मणिकर्णिका घाट से करीब 15 फिट ऊपर एक रूफ टॉप पर श्मशान चल रहा है। यहां अंतिम संस्कार के लिए शवों का कतार लगा हुआ है। आलम यह है दो से ढाई घंटे इंतजार करने के बाद भी डेढ़ दर्जन शव को एक साथ जलाया जा रहा है।

महाश्मशान घाट डोम राजा परिवार के माता प्रसाद चौधरी ने कहा कि आम दिनों में मणिकर्णिका घाट के 5 प्लेटों पर शवों को जलाया जाता है। 1 प्लेट पर 20 शव फूंके जाते हैं। बाढ़ के बाद सिर्फ 1 छोटे प्लेट यानी कि एक खुली छत पर शवदाह किया जा रहा है। अब यही टॉप फ्लोर ही एकमात्र सहारा है। वहीं, दूसरी तरफ गंगा का जलस्तर बढ़ने से हरिश्चंद्र घाट जलमग्न है। यहां गलियों में दाह संस्कार हो रहा है। डोमराजा जगदीश चौधरी के बेटे ओम चौधरी ने बताया कि हरिश्चंद्र घाट की गलियों में लाश जलाने के लिए करीब 3 घंटे की वेटिंग है। यहां पर हर दिन 10 लाशें ही जल पा रही हैं। बिल्कुल भी जगह नहीं है। कई अर्थियां यहां से दूसरे घाट के लिए ले जाई जा रही हैं।

गंगा तेजी से खतरे के निशान के करीब बढ़ रही है। लिहाजा घाट पर होने वाली आरती को अब घाट किनारे पर नहीं किया जा रहा। लगातार चार बार गंगा आरती का स्थान बदलने के बाद अब दशाश्वमेध घाट के सीढ़ियों पर नहीं, बल्कि छत पर गंगा आरती की व्यवस्था की गई है। ऐसे ही शीतला मंदिर के पास, अस्सीघाट, पंचगंगा घाट आदि घाटों पर होने वाली आरती अब घाट पर न होकर छत पर कराई जा रही है। गंगा का जलस्तर बढ़ने का असर अब ये हो रहा है कि सावन के महीने में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए घाट पर स्नान खतरनाक होता जा रहा है। अगर गंगा के जलस्तर बढ़ने की यही रफ्तार रही तो अगले दो से तीन दिनों के भीतर गंगा का पानी घाट के ऊपर सड़कों तक पहुंच सकता है। वैसे भी काशी के सभी 84 घाटों का आपसी संपर्क पूरी तरह से खत्म हो गया है।

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