वाराणसी, 25 सितंबर:
अंशुल मौर्य
वाराणसी में भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया है, इसकी बानगी रामनगर लाल बहादुर शास्त्री घाट पर देखने को मिली है। बीते 12 सितंबर को रामनगर स्थित लाल बहादुर शास्त्री घाट के जिस नवनिर्मित बारादरी के गुंबद गिरने से एक मजदूर और एक कुत्ते की जान चली गई थी, उसी बारादरी के चारों पिलर मंगलवार को गंगा में समा गए। 10.50 करोड़ रुपये से 132 मीटर लंबा बना यह पक्का घाट भ्रष्टाचार का शिकार हो चुका है।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो दिवसीय काशी दौरे के दौरान सर्किट हाउस में विकास व कानून-व्यवस्था की समीक्षा की थी। बलुआ घाट स्थित गुंबद गिरने और एक व्यक्ति की मौत को गंभीरता से लेते हुए कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) की प्रदेश में चल रही सभी परियोजनाओं की जांच कराने के साथ पर्यटन विभाग के ठेकेदार और संबंधित नोडल अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया था।
खबरों के मुताबिक, 12 सितंबर को बारादरी का गुंबद गिरने के तीसरे दिन बारिश के पानी में डूब गया था। मंगलवार को बारिश का पानी कम होने के साथ बारादरी का बचा हुआ पिलर अचानक जमींदोज होकर गंगा में समा गया। यह देख दूर बैठे लोग भाग खड़े हुए। आसपास के लोग डर के मारे पक्के घाट पर नहीं जा रहे हैं। पहले बारिश में जब पक्के घाट का यह हाल है तो आगे न जाने क्या होगा। इन सवालों का जवाब यूपीपीसीएल के किसी अधिकारी के पास नहीं है। निर्माणाधीन पक्का घाट भ्रष्टाचार के मामले में सामने आने पर अधिकारी बचने का रास्ता खोज रहे हैं।
12 सितंबर को हादसे के बाद वाराणसी के जिलाधिकारी एस.राजलिंगम की ओर से अपर जिलाधिकारी (नगर) आलोक वर्मा के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई थी, जिसमें लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता आशुतोष सिंह, सिंचाई विभाग मंडी प्रखंड के अधिशासी अभियंता राजेश यादव और ग्रामीण अभियंत्रण सेवा के अधिशासी अभियंता विनोद राय शामिल थे। टीम ने प्राथमिक गुणवत्ता की जांच करने के साथ नमूना लेने के साथ आइआइटी बीएचयू भेज दिया है। जांच रिपोर्ट आने का इंतजार किया जा रहा है। उधर, मंगलवार को गंगा का जलस्तर कम होने के साथ डूबा बारादरी दिखाई देने लगा। अचानक चारों पिलर संग जोड़ा गया हिस्सा जमीन पर गिर पड़ा। इसकी सूचना जैसे ही यूपीपीसीएल के अधिकारियों के पास पहुंची तो उन्हें सांप सूंघ गया।
इनके खिलाफ हो चुकी है कार्रवाई: भ्रष्टाचार के आरोप में सहायक अभियंता दिलीप कुमार और अवर अभियंता रेनू जायसवाल को निलंबित कर दिया गया है और उन्हें प्रयागराज से संबद्ध किया गया है। महाप्रबंधक दिनेश कुमार को सिंचाई विभाग में वापस भेजने के साथ प्रोजेक्ट मैनेजर प्रवीण शर्मा को मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया है।