निवाड़ी, मध्य प्रदेश, 30 अक्टूबर, 2024
कभी बुंदेलखंड राज्य की राजधानी रही ओरछा रियासत आज मध्य प्रदेश के सबसे छोटे जिले निवाड़ी की तहसील है। यहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है। जामुनी और बेतवा नदी के किनारे बसा यह ऐतिहासिक नगर अपने अंदर कई सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजे हुए है, जिसे देखने के लिए देश के ही नहीं बल्कि विदेशों से भी सैलानी आते हैं। ओरछा में स्थित रामराजा मंदिर, जहांगीर महल, राजा महल, राय परवीन महल, चतुर्भुज मंदिर, लक्ष्मीनारायण मंदिर खास हैं। इसमें 17वीं सदी की शुरुआत में बना लक्ष्मीनारायण मंदिर अपने आप में खास है। यह मंदिर 1622 ईस्वी में वीरसिंह देव ने बनवाया था। यह मंदिर ओरछा के पश्चिम में एक पहाड़ी पर बना है। यह मंदिर पिछले 40 सालों से मूर्ति विहीन है। मंदिर में 17वीं और 19वीं शताब्दी के चित्र बने हुए हैं, चित्रों के चटकीले रंग इतने जीवंत लगते हैं, जैसे वह हाल ही में बने हों।
श्रीयंत्र के आकार में उल्लू की चोंच को दर्शाता है मंदिर
मंदिर में रामायण, महाभारत, झांसी की लड़ाई के दृश्य और भगवान कृष्ण की आकृतियां बनी हैं। बुंदेलखंड सहित पूरे देश में यह इकलौता मंदिर है, जिसका निर्माण तत्कालीन विद्वानों द्वारा श्रीयंत्र के आकार में उल्लू की चोंच को दर्शाते हुए किया गया है। इसके अलावा 17वीं सदी में बने इस मंदिर की मान्यता है कि दीपावली के दिन इस सिद्ध मंदिर में दीपक जलाकर मां लक्ष्मी की पूजा करने से वह प्रसन्न होती हैं।
मंदिर में नहीं है देवी लक्ष्मी की प्रतिमा
1983 में मंदिर में स्थापित मूर्तियों को चोरों ने चुरा लिया था, तब से आज तक मंदिर के गर्भगृह का सिंहासन सूना पड़ा है। बताया जाता है कि 1622 में राजा वीर सिंह देव ने ओरछा में कई ऐतिहासिक इमारतों के साथ इस मंदिर का निर्माण तत्कालीन विद्वानों के द्वारा श्री यंत्र के आकार में उल्लू की चोंच को दर्शाते हुए तांत्रिक विधि से बनवाया था। मंदिर में माता की प्रतिमा ना होने के बावजूद भी यहां पूजा पाठ की जाती है और श्रद्धालु मंदिर की चौखट पर माथा टेककर बिना मां लक्ष्मी के दर्शन किए वापस लौट जाते हैं, तो वहीं धनतेरस से दीपावली तक हजारों की संख्या में देश-विदेश से लोग यहां पहुंचते हैं, ऐसी मान्यता है कि दीपावली की रात मंदिर व परिसर में दीपक प्रचलित करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।