काशी के लक्खा मेला का शुभारंभ, गाजे-बाजे के साथ निकली लाटभैरव की प्रख्यात नक्कटैया

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वाराणसी, 8 अक्टूबर 2024:

अंशुल मौर्य,

उत्तर प्रदेश के काशी के लक्खा मेलों में शुमार लाटभैरव की प्रख्यात नक्कटैया सोमवार की अर्द्ध रात्रि कड़ी सुरक्षा में उल्लासपूर्ण ढंग से सुसम्पन्न हो गई। नक्कटैया का उद्घाटन मुख्य अतिथि शहर दक्षिणी के विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी व विशिष्ट अतिथि नागरिक सुरक्षा के उपनियंत्रक नरेंद्र शर्मा ने किया। नक्कटैया का जूलुस परम्परागत ढंग से विशेश्वरगंज से उठकर अम्बियांमंडी, हनुमान फाटक, गोस्वामी तुलसी दास मार्ग, लाटभैरव होते हुए सरैया गई जहां खरदूषण युद्ध व वध एवं सीता हरण लीला का मंचन हुआ। इस दौरान लाटभैरव-सरैया मार्ग पर खराब रास्ते के कारण कई ऊंचे लाग विमानों को काफी पहले ही रोक देना पड़ा।

नक्कटैया जूलुस के आगे बाजे-गाजे के साथ सूपर्णखा व उसके पश्चात खर एवं दूषण के पुतले के साथ ही हाथी, घोड़े व ऊँट का झुंड फिर तलवार भाजती काली के विविध चेहरे और इनके बीच में बैण्ड, शहनाई आदि के कई समूह और नगर क्षेत्र के जाने-माने गणमान्य लोग भी चल रहे थे। नक्कटैया शोभायात्रा में करीब 85 लोग, विमान व स्वांग आदि थे, जिसमें काली तांडव, ताड़का वध, गोबर्धन पूजा, साईं बाबा, महिषासुर मर्दिनी के प्रदर्शन की चौकी की लोगों ने सराहना की। जूलुस में लगभग 400 वर्ष पुराना बुढ़िया-बुढ़वा के चेहरे बच्चे-बड़ो सबके आकर्षण के केंद्र रहे।

पूरा नक्कटैया मार्ग विद्युत सजावट से आकर्षक ढंग से सजाया गया था। नक्कटैया शोभायात्रा मार्ग की दुकानों पर भी आकर्षक सजावट की गई थी। विद्युत सजावट, लाग, विमान व स्वांग आदि के देखने के लिए हर स्थान पर लोगों की भारी भीड़ थी, जिसमें बाल, वृद्ध, युवा, नर-नारी हर प्रकार के हर वर्ग के लोग थे। नक्कटैया का संयोजन समिति के प्रधानमंत्री कन्हैयालाल यादव एडवोकेट, उपाध्यक्ष मनोज यादव ‘कालभैरव’, व्यास दयाशंकर त्रिपाठी, केवल कुशवाहा, निखिल त्रिपाठी, श्यामसुंदर सिंह, जितेंद्र कुशवाहा पार्षद आदि रहे।

मुक्ति के लिए निभाते हैं सूर्पणखा का किरदार

तुलसीदास के दौर से चली आ रही रामलीला में शूपर्णखा का किरदार नैना (थर्ड जेंडर) ने निभाया। नैना ने कहा इस परंपरा से इस जन्म से मुक्ति मिलेगी और अगला जन्म सामान्य नर-नारी का मिलेगा।

लक्ष्मण ने काटी सूर्पनखा की नाक, रावण ने किया सीताहरण

श्रीराम ने पृथ्वी पर जिस कार्य के लिए अवतार लिया था, उसका आरंभ उन्होंने खर दूषण के वध के साथ कर दिया। वहीं लक्ष्मण ने सूर्पनखा की नाक काटकर राक्षसों के संहार की पटकथा लिख डाली। तुलसी के दौर से चली आ रही लाटभैरव की रामलीला के 12वें दिन सूर्पनखा-नासिक छेदन, खरदूषण-वध, सीताहरण, रावण -गिद्धराज-युद्ध की लीला का मंचन हुआ।

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